Text of PM’s interaction with Farmers at a Krishi Programme in New Delhi
प्रधानमंत्री – राम-राम!
किसान – राम-राम! हरियाणा के हिसार जिले का हूं जी मैं। मैंने काबुली चना बोने से खेती शुरू की थी। तो पहले थोड़ी…..
प्रधानमंत्री – ये कितने साल पहले किया आपने?
किसान – चार साल हो गए जी अब। 10 क्विंटल प्रति एकड़ से पैदावार मिलती है मेरे को काबुली चना की।
प्रधानमंत्री – कुछ तो क्रॉप ऐसा है, इसके बीच में भी डाल देते हो, तो भी दलहन होता है।
किसान – हां।
प्रधानमंत्री – तो एक अतिरिक्त कमाई होती है, थोड़ी मेहनत पड़ती है। तो और भी किसानों को लगता है कि हम भी दलहन की तरफ चलें, अपनी जमीन फिर से जिंदा हो जाएगी?
किसान – हां, लगे हैं जी। ऐसा सोचते हैं, मैं ये बताता हूं किसानों को, कि भई हम दलहन की फसल चना की बोएंगे, तो हमें ये फसल तो मिलेगी ही, और अगली फसल के लिए भी चना हमारी जमीन में या अन्य दालों वाली फसलें कोई भी और हमें हमारी जमीन में नाइट्रोजन छोड़ती है, तो अगली फसल भी अच्छी होती है।
किसान – जीवन में ऐसा पहला मौका मिला है कि हम प्रधानमंत्री से मिले हैं। बड़े अच्छे प्रधानमंत्री हैं। किसान से और एक साधारण आदमी तक वो लगाव रखते हैं।
किसान – और मैं किसान पदक संगठन अभी देख रहा हूं सर। मैं इसमें सीए हूं और मैं खेती भी करता हूं दाल की, हमारे 16 बीघा जमीन है घर की। मैं चना करता हूं जी। और हमने महिलाओं का, 20-20 महिलाओं का ग्रुप बना रखा है गांव में, तो हम उनसे चना-लहसुन- पापड़, ये बना रहे, क्योंकि हमारे जो ऑडियो (स्पष्ट नहीं) .उसमें लहसुन….
प्रधानमंत्री – अच्छा वहीं पर उसका आपका प्रोडक्ट भी कर लेते हैं?
किसान – हां-हां-हां।
प्रधानमंत्री – तो किसी प्रोडक्ट का नाम रखा है कि ऐसे?
किसान – जो हमारा गांव दुगारी है सर, उसी के नाम से हमने ब्रांड नेम रखा है दुगारी वाले।
प्रधानमंत्री – अच्छा।
किसान – हां, चना-लहसुन-पापड़, दुगारी वाले चना-लहसुन-पापड़।
प्रधानमंत्री – तो लोग, लोग ले जाते हैं?
किसान – जी सर। हमने है ना एक तो GeM है, गवर्नमेंट पोर्टल है GeM, उस पर रजिस्टर है, तो सर आर्मी वाले सर उसमें खरीदते हैं।
प्रधानमंत्री – तो पूरे राजस्थान में मालूम है कि ये?
किसान – सर, ऑल इंडिया में सर, बिक रहा है सर।
प्रधानमंत्री – अच्छा।
किसान – हां।
प्रधानमंत्री – और भी लोग बनाते हैं क्या?
किसान – लेके आते हैं। और भी लोग बनाते होंगे सर, हमारे जो, हमारे जो किसान की महिलाएं हैं, वो….
प्रधानमंत्री – ये आप सबको खिलाना पड़ेगा?
किसान – हां बिल्कुल सर, बिल्कुल।
किसान – रोंगटे खड़े हो गए थे हमारे कि सर से कैसे मिलेंगे। जैसे वो आए तो एकदम उनकी चमक देखके हम, शब्द नहीं है कि अब क्या बोले अब। एकदम अलग था वो मोमेंट।
किसान – दलहन की खेती करता हूं जी मैं 2013-14 से एक एकड़ से स्टार्ट करके 13-14 एकड़ तक मैंने चने की खेती की है जी।
प्रधानमंत्री – हां। पहले एक एकड़ पे चना किया, बाकी जगह पर दूसरा कर रहे थे?
किसान – हां जी दूसरा।
प्रधानमंत्री – अभी धीरे-धीरे-धीरे आपने इसको बढ़ा दिया।
किसान – वो मैंने 13 से 14 एकड़ पे ले आया जी मैं और…
प्रधानमंत्री – आपकी आय में क्या फर्क हुआ?
किसान – आय में तो जी अच्छी क्वालिटी के बीज चुनते गए, साल दर साल और पैदावार बढ़ती गई।
प्रधानमंत्री – जो शाकाहारी लोग हैं, उन लोगों को तो दलहन से ही प्रोटीन मिलता है?
किसान – जी सर।
प्रधानमंत्री – तो ऐसी स्थिति में आपको लगता है कि जब आप दलहन करते हैं, तो सिर्फ अपने जेब भरते हैं, ऐसा नहीं, आप समाज का भी बहुत बड़ा भला करते हैं।
किसान – ठीक।
प्रधानमंत्री – अभी हमारे खेत तो छोटे-छोटे हैं, जोत बहुत छोटी होती है। और उसके कारण कुछ भी प्रयोग करें, तो बेचारा अकेला पड़ जाता है। लेकिन मान लीजिए आपने 200 किसान इकट्ठे किए।
किसान – हां।
प्रधानमंत्री – और तय किया कि भई हम 200 किसानों की जितनी जमीन भी है, 400 बीघा, 500 बीघा, जो भी है। एक, एक या दो जो भी चीज तय करें, वही करेंगे। और फिर उसका बड़ा मार्केटिंग करेंगे। ऐसी, तो क्या उसका किसानों को ज्यादा लाभ होता है?
किसान – बिल्कुल होता है सर। हम लगभग 1200 एकड़ में रेसिड्यू फ्री फार्मिंग कर रहे हैं काबुली के ऊपर। तो जो पहले वो जो माल बेच रहे थे, उनसे उन्हें काफी फायदा था।
प्रधानमंत्री – यानी सब किसान अब मान गए हैं, उसके कारण आपको मेहनत भी कम पड़ती होगी?
किसान – क्योंकि हमने एक ऐसा सिस्टम बना दिया।
किसान – मैं बीर जिले से।
प्रधानमंत्री – कहां से? बीर जिला। वहां तो पानी की दिक्कत रहती है?
किसान – इसलिए आपने जो अभी धन-धान्य की योजना चालू की है, इसलिए आपका बहुत सारा शुक्रिया।
प्रधानमंत्री – चलिए धन्यवाद। जैसे हम मिलेट के लिए लगे हैं, सब जगह पर, जो पुरानी हमारी परंपरा थी, बाजरा हो, ज्वार हो, ये सारी चीजें। अब दुनिया में बहुत बड़ा मार्केट हो रहा है उसका। और जहां पानी नहीं है, ऐसी भूमि पर भी किसान अपनी कमाई कर सकता है।
किसान – मिलेट्स के कारण।
प्रधानमंत्री – हां। मिलेट भी करते हैं?
किसान – मिलेट भी करते हैं।
प्रधानमंत्री – क्या-क्या करते हैं उसमें?
किसान – बाजरा है, ज्वार है, फिर भुना चुना।
प्रधानमंत्री – मतलब अभी भी खाते हैं लोग?
किसान – खाते हैं ना, सब खाते हैं।
प्रधानमंत्री – अच्छा।
किसान – और इसी के साथ-साथ जब हम कस्टमर को देते हैं, बॉम्बे में है।
किसान – उन्होंने बातचीत इतनी की और ऐसा लगा कि ये कोई प्रधानमंत्री नहीं है, हमारे घर के आदमी हैं।
किसान – हमारी तरफ मैं अरहर की खेती करता हूं। युवक को मैं बोलूंगा कि आप इतना इंटरेस्ट दिखाइए, किसानों का भी फायदा होगा, आपका भी एज ए बिज़नेस कोई चॉइस रहेगी।
किसान – मैं एक समूह से जुड़ी हुई महिला हूं। मैंने अभी 2023 में समूह जॉइन किया था, और मैंने अपनी पांच बीघा खेती है, उसमें मैंने मूंग का उत्पादन शुरू किया। साहब आपके जो पीएम सम्मान निधि है, वो तो हमारे लिए एकदम वरदान है, बहुत बड़ा वरदान है हमारे लिए। आपसे जो 6000 साल का मिलता है, हमें उससे बहुत आसानी हो जाती है। जैसे कि समय-समय पर हम उससे अपनी बीज लेना, जुताई कराना खेत का, वो तो हमारे लिए एक बहुत ही बड़ा वरदान है।
प्रधानमंत्री – अच्छा कभी ये मन करता है कि भई धीरे-धीरे-धीरे फर्टिलाइजर कम करें?
किसान – जी। हम जो महिलाओं को….
प्रधानमंत्री – क्योंकि कभी हमने ये भी सोचना चाहिए जी, ये हमारी मां है, उस मां को अगर हम ऐसी ही चीजें खिलाते-पिलाते रहेंगे, तो कितने दिन जिंदा रहेगी?
किसान – सही बात है।
प्रधानमंत्री – ये बात किसानों में होती है?
किसान – हां।
प्रधानमंत्री – तो जब उसके दिमाग में ये भर जाता है ना, कि भई मुझे बच्चों को अच्छी जमीन देनी है, ऐसी ही टुकड़ा नहीं देना है। यानी बिल्कुल धन-धान्य से भरी हुई ऐसी जमीन देनी है। तो फिर उसको लगेगा कि मैं नुकसान नहीं करूं। एक काम आप किसान मदद कर सकते हैं। जैसे मान लीजिए किसी के पास चार बीघा जमीन है।
किसान – हां।
प्रधानमंत्री – आप उसको एकदम को उसको प्राकृतिक खेती कहोगे, तो हिम्मत ही नहीं करेगा।
किसान – नहीं होगा।
प्रधानमंत्री – भूखा मर जाऊंगा। लेकिन उसको ये कहेंगे, भई ठीक है। हमारी बात मत मानो। इसके चार टुकड़े करो। एक-एक बीघा में हम जो कहते हैं वो करो, तीन में तुम जो करते थे वही करो।
किसान – सही है।
प्रधानमंत्री – 2 साल तक हमारे साथ चलो। तो उसको सफलता मिलेगी। फिर वो एक के डेढ़ करेगा, डेढ़ के दो करेगा, फिर उसका विश्वास आया। हम एकदम से कहेंगे नहीं चार बीघा बंद कर दो, और ये कर दो। तो संभव नहीं है। वो खाएगा क्या? डरता है वो।
किसान – मैं चने और मसूर और ग्वार की खेती करता हूं सर। और वैसे तो जमीन कम है मेरे पास, दो एकड़ है ज्यादा नहीं। पर थोड़े-थोड़े समय पर मैं कर लेता हूं।
प्रधानमंत्री – देखिए किसान दो एकड़ में भी मिरेकल कर देता है।
किसान – थोड़े-थोड़े करके…
प्रधानमंत्री – उसको जमीन कितनी छोटी है, बड़ी नहीं, उसका दिमाग बहुत बड़ा होता है जी, साहस-हिम्मत बहुत बड़ी होती है।
किसान – जी।
प्रधानमंत्री – अच्छा आपको कभी ये विचार आया कि चलो मेड पर हम बाड़ करते हैं? पड़ोस वाला घुस ना जाए। वो भी बाड़ करता है और डेढ़ दो मीटर जमीन हमारी खराब हो जाती। अगर मिलकर के वहां सोलर लगा दे, उसका सोलर उधर की तरफ झुकेगा, आपका सोलर इधर झुकेगा। आपकी बिजली आप कमा के बेच के दोगे, वो बिजली वो बेच देगा।
किसान – बहुत अच्छी है, हो सकती है…..
प्रधानमंत्री – हां, ये इस दिशा में जाना चाहिए। अब सरकार पैसे देती है इसके लिए। उसी दिशा में जाना चाहिए।
किसान – नहीं ले रहे हैं लोग, अच्छा फायदा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री – दूसरा एक मुझे लगता है, रिचार्जिंग वेल की ओर जाना चाहिए। हमने पानी जो बारिश का आता है, नीचे जाए उसके लिए कोशिश करनी। तो पानी का लेवल ऊपर आ जाता है। उसका बहुत फायदा होता है।
किसान – हां।
प्रधानमंत्री – चलिए बहुत अच्छा लगा आप लोग बड़े साहसिक किसान हैं, और बहुत अच्छी मेहनत करने वाले लोग हैं। लेकिन प्रयोग कर रहे हैं, मुझे बहुत खुशी हुई, क्योंकि हम भई मेरे पिताजी भी ऐसा करते थे, मेरे चाचा भी ऐसा करते हैं, मैं भी ऐसा करूंगा। अब हमने नौजवानों को थोड़ा इसमें से बाहर लाना है।
किसान – पशु मंत्रालय की वजह, तरफ से हम लोगों को 50 टका सब्सिडी मिली है। पहले मेरे पास कुछ गाय थी, अभी 250 से ऊपर गिर गाय है मेरी। स्टार्टिंग में 2010 में होटल में रूम बॉय था। अभी मेरे पास करोड़ों की गौशाला का मालिक हूं। भारत सरकार ने बहुत बढ़िया सपोर्ट दिया है।
प्रधानमंत्री – तो ये रूम बॉय में से यहां कैसे पहुंच गए भई?
किसान – सरकार की उपलब्धि है सर।
प्रधानमंत्री – आपकी इतनी गाय है, तो क्या खुद ही रखते हैं कि गाय लोगों को भी देते हैं?
किसान – अभी मैंने जो आदिवासी महिला है, जो ऑर्गेनिक खेती करती है, और गरीब है, उसको मैंने 63 गाय गिफ्ट की है, बछड़ियां, मेरी तरफ से।
प्रधानमंत्री – हां। देखिए मैं काशी का सांसद हूं। तो मैं एक प्रयोग करता हूं। मैंने वहां गिर गाय करीब 100 परिवार को दी है, और उनसे शर्त की है कि जो पहली बछड़ी होगी, वो आपको मुझे वापस देनी है। जो वापस देते, वो दूसरे परिवार को देता हूँ।
किसान – 2020 के समय में सर, जब पूरी दुनिया बंद हो गई थी, उसके बाद रिसर्च किया, थोड़ा सा और पढ़ा, उसके बाद डिपार्टमेंट गए हरिद्वार में, तो वहां से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बारे में पता चला। और मुझे ऐसा लगता है सर, वो लाइफ चेंजिंग एक स्कीम है हमारे लिए और वहां से फिर जो मेरे को सब्सिडी के रूप में जो मेरे को असिस्टेंस मिली, उसकी वजह से सर मेरे को बहुत ज्यादा हेल्प हुई।
प्रधानमंत्री – कितने लोगों को काम देते हैं?
किसान – 25 के करीब जो लड़के हैं हमारे गांव के उत्तराखंड के छोटे-छोटे गांव से, वो हमारे यहां आके, सर काफी कुछ सीखके…
प्रधानमंत्री – अच्छा।
किसान – कुछ अलग-अलग जगहों पर, अलग-अलग जगहों पर वो चले गए और अपना-अपना थोड़ा-थोड़ा काम कर रहे हैं।
किसान – मेरा सजावटी मछली पे मेरा।
प्रधानमंत्री – अच्छा…एक्वाकल्चर।
किसान – मैंने पहली बार सर यूपी में शुरू किया।
प्रधानमंत्री – हां-हां। कैसे कर रहे हैं आप, और कहां से ये सारा ट्रेनिंग लिया, क्या किया?
किसान – सर मैं पीएचडी हूं, मेरा सब्जेक्ट ही यही रहा है, तो मैंने सोचा कि मैं बजाय जॉब सीकर के जॉब प्रोवाइडर बनूं, तो फिर मैंने जो है वहां पे स्टार्ट किया (जगह का नाम स्पष्ट नहीं) में।
प्रधानमंत्री – दुनिया में एक्वाकल्चर में बहुत काम होता है।
किसान – जी-जी।
प्रधानमंत्री – और भारत में कई विशेषताएं भी हैं। हम उस तरफ ध्यान दिया, तो बहुत बड़ा मार्केट है।
किसान – प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एक स्टार्टअप फार्मर्स के लिए बहुत बड़ी होप है।
किसान – आपका जो सपना है कि गांव अगर समृद्ध होगा, तो देश समृद्ध होगा। तो मैं सरायकेला में हाथीमारा गांव में, वहां पे 125 गरीब जनजातियों और जातियों, फैमिली को एडॉप्ट कर लिया, और वहां पे मेरा इंटीग्रेटेड फार्मिंग का हमने आयाम चालू किया।
प्रधानमंत्री – आपकी पढ़ाई भी इसमें हुई या पहले से कहीं ट्रेनिंग ली, कैसे मन कर गया इसमें?
किसान – सर आप मेरे आदर्श रहे हो।
प्रधानमंत्री – अरे भाई।
किसान – आपने देश को आह्वान किया था, कि जॉब सीकर की जगह पर जॉब गिवर बनो। पूरी दुनिया में टाटा स्टील अपना प्रोडक्ट बेचती है। मेरे प्रोडक्ट को टाटा स्टील बेचती है।
प्रधानमंत्री – वाह, बढ़िया।
किसान – सर मेरे आराध्य रहे हैं, मेरे प्रेरणा स्रोत रहे हैं, मेरे गुरु रहे हैं, और मेरे पूरे जीवन का इंपैक्ट उनके छोटे-छोटे एडवाइस, उनके छोटे-छोटे बातों को लेके परिवर्तित होता रहा है।
किसान – जी मैं सखी ऑर्गेनाइजेशन से जुड़ी हूं, और हमारा सफर 20 महिलाओं से शुरू होकर, आज 90 हजार महिलाएं…
प्रधानमंत्री – 90 हजार।
किसान – जी सर। 90 हजार महिलाएं काम कर रही हैं, और वो दूध बेचकर एक अच्छी इनकम ले रही हैं, और हमने आज तक 14,000 प्लस लखपति दीदियां भी बनाई हैं।
प्रधानमंत्री – आप तो सब मिरेकल बता रही हो।
किसान – मेरा पास यहां अच्छा फिशिंग बहुत है।
प्रधानमंत्री – हां।
किसान – मच्छी वगैरा, अभी आपका स्कीम का वजह से, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना स्कीम का वजह से आइस प्लानिंग हुआ……हुआ
प्रधानमंत्री – कितने लोग काम करते हैं आपके साथ?
किसान – मेरे साथ काम करते हैं, 100 लोग काम करते हैं।
प्रधानमंत्री – अच्छा। और भी ऐसे लोग हैं जिनको ये विचार आता है?
किसान – जी सर। हम लोग अभी दूसरा लोग अभी अंडमान आया, जो पहले हम लोग, जो ठीक से हम लोग को ये फिशिंग बोर्ड जान ही नहीं सकता था।
प्रधानमंत्री – हां।
किसान – आपका स्कीम को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना स्कीम की वजह से अभी बोर्ड भी चल रहा है, अभी आइस भी मिल रहा है सर। यहां मच्छी रखने की जगह भी मिलता है सर।
प्रधानमंत्री – ओह।
किसान – मैं कश्मीर से आ रहा हूं। मैंने एक प्रोग्राम की जरिए आपकी स्कीम के बारे में सुना PMMSY, तो वहां पे जाके मैं उससे मजदू हुआ, तो मैंने ये कल्चर स्टार्ट किया। 3 से मेरे अभी 14 employees हैं।
प्रधानमंत्री – ओह।
किसान – 14 Employees है, और 15 लाख का मेरा मुनाफा हो रहा है साल भर का। बहुत अच्छा मार्केट मिला है, और इसके साथ औरों को भी फायदा मिला है, क्योंकि….
प्रधानमंत्री – अब तो ये ट्रेन से भी आपका goods जा रहा है, तो बहुत जल्दी से आपकी चीज़ें पहुंचेगी?
किसान – बहुत ज्यादा डेवलपमेंट हो रही है। वो तो आपकी वजह से हो रही है, और मुझे नहीं लग रहा कि ये सब चीजें किसी और प्राइम मिनिस्टर की वजह से मुमकिन थी…
प्रधानमंत्री – नहीं-नहीं, जम्मू कश्मीर के नौजवानों में बहुत ताकत है भाई।
किसान – कश्मीर में आपके दौरान, आपकी हुकूमत के दौरान, गवर्नमेंट के दौरान हुई है। मैं नहीं कह रहा हूं कि किसी और वजह से भी हो सकती है।
किसान – उनसे मिलके, मतलब जो थैरेपी हमें पूरी गार्डनिंग करके, पूरी एक्वाकल्चर फार्मिंग करके नहीं मिल रही है। वो आज उनसे मिलके चलते-चलते बात हो गई, तो अच्छा लग रहा है कि एक नेचुरल थैरेपी सी मिल गई।
किसान – नमस्कारम्
प्रधानमंत्री – नमस्कार।
किसान – Sir, I actually came from US in 2014.
प्रधानमंत्री – And, you left USA?
किसान – Yes, I left USA, I wanted to employee my own people. And Sir I started with small 10 acre farm. In farming now, I am doing 300 plus acres farming and top of that I am having hatcheries. We are producing seeds for 10,000 plus acres. I took benefit from FIDF Sir, and almost I got 7% interest rate. So because of that I was able to expend a lot. Now I have about 200 employees sir.
प्रधानमंत्री – वाह। Great!
किसान – Narendra Modi Ji was walking towards us, it was a pause moment of my life. It was like a wow situation.
प्रधानमंत्री – नमस्ते भाई।
किसान – मैं गुजरात से, अंबेरेली डिस्ट्रिक्ट के धारी एफपीओ से हूं। मेरा नाम भावना गोंदविया और अभी मेरे एफपीओ में 1700 फार्मर हैं, और हमने सर लगातार चार साल से 20%….
प्रधानमंत्री – 1700 फार्मर।
किसान – जी सर।
प्रधानमंत्री – और कितनी जमीन होगी, सबकी मिलाकर के?
किसान – सर हम 1500 एकड़ जमीन में पूरा हमारा farming कर रहे हैं, और 20% डिविडेंड चार साल से लगातार दे रहे हैं सर। 200 करोड़ प्लस….
प्रधानमंत्री – उनकी अलग-अलग फसल लेते हैं क्या? या आपने तय की हुई फसल वो करके देते हैं?
किसान – MSP का भी काम हम उसमें करते हैं, और साथ में सर उसमें हम सबसे बड़ा अचीवमेंट है कि सरकार, भारत सरकार की जो स्कीम है ना गारंटी वाली, तो जब हमारे एफपीओ के पास पैसे नहीं थे, तो 2 करोड़ रूपये हमें बिना गारंटी के दिए गए। उनसे हमारा बहुत बड़ा अचीवमेंट हुआ।
किसान – नमस्कार प्रधानमंत्री जी। मेरा नाम सुनील कुमार है। मैं जैसलमेर राजस्थान से हूं। हम ज्यादातर काम आईपीएम, जीरे में करते हैं। इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट ऑर्गेनिक जीरा।
प्रधानमंत्री – अच्छा।
किसान – तो सर मेरे एफपीओ के अंदर 1035 किसान हैं, जिसमें से सर….
प्रधानमंत्री – सब जीरा वाले हैं।
किसान – जीरा और ईसबगोल।
प्रधानमंत्री – जीरा का मार्केट कहां है?
किसान – सर अभी जो हम भेज रहे हैं ना, सर गुजरात के अंदर अलग-अलग एक्सपोर्टर्स को देते हैं। तो वो फिर उनको लेके जाते हैं।
प्रधानमंत्री – कभी किसी ने ईसबगोल का आइसक्रीम बनाया है क्या?
किसान – नहीं-नहीं।
प्रधानमंत्री – सोचिए। बहुत बड़ा मार्केट हो सकता है।
किसान – जैसे उन्होंने वैल्यू एडिशन के बारे में बोला। उन्होंने जैसे एक छोटा सा आईडिया दिया। अब उनके दिमाग में कहां से आया था। आइसक्रीम आज तक हमने भी नहीं सोचा। पहली बार सोचा है अब इसके ऊपर विचार करेंगे और जरूर कुछ करेंगे।
किसान – मैं सर धर्मेंद्र कुमार मौर, मिर्जापुर, जो आपका संसदीय क्षेत्र वाराणसी है, उसके बगल का जिला है। और मिलेट्स पे हम लोग काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री – मिलेट्स पे।
किसान – जी सर। जिसमें से….
प्रधानमंत्री – आप पैकेजिंग वगैरह करके, ब्रांड करके बिक्री होती है।
किसान – सर हम डिफेंस में, एनडीआरएफ को भी सप्लाई दे रहे हैं, सर हमारा उनके साथ MoU है सर।
किसान – मेरा नाम फयाज अहमद है, मैं कश्मीर से हूं। हम एप्पल का उत्पाद करते हैं।
प्रधानमंत्री – एप्पल वाले हैं?
किसान – एप्पल वाले हैं।
प्रधानमंत्री – अब तो आपको एप्पल ले जाने के लिए गाड़ी मिल गई है?
किसान – हां। गाड़ी तो मिल गई है।
प्रधानमंत्री – 60 हजार टन आपके फल-सब्जी-फूल, रेल मार्ग से दिल्ली में पहुंचे हैं।
किसान – यहां दिल्ली में पहुंच गए हैं, बाकी जगहों पे पहुंच गए हैं।
प्रधानमंत्री – ये बहुत बड़ा काम हुआ है जी।
किसान – लेकिन।
प्रधानमंत्री – ट्रकों में बहुत टाइम लगता है।
किसान – मेरा नाम रौशिक सुखलाम (नाम स्पष्ट नहीं) है, मैं जबलपुर मध्य प्रदेश से हैं। सर हम मेरोपोनिक्स के थ्रू पोटैटो सीड्स बनाते हैं।
प्रधानमंत्री – ऐसा ही।
किसान – हां सर। ये वर्टिकल फार्मिंग है, हॉरिजॉन्टल करते हैं। ये सर पोटैटो सीड्स हैं। सर ये आलू से सोना तो नहीं बनाते, पर ये सोने की तरह ही आलू में, क्योंकि इसी को हम फील्ड में मल्टीप्लाई करते हैं, और किसान अपनी खुद की….
प्रधानमंत्री – यानी आप ऊपर करते हैं…
किसान – जी सर।
प्रधानमंत्री – आलू।
किसान – लटकते हुए आलू होते हैं सर इसमें।
प्रधानमंत्री – मतलब ये जैनियों के लिए है। ये जैन आलू है। अगर वो जमीन में है, तो जैन खाते नहीं, बाहर है तो, खाते हैं।
किसान – नरेंद्र मोदी जी से जब मिले, तो उनको हमने ये मिनी ट्यूबर्स दिखाया। उन्होंने ये आलू देखा, उन्होंने, उनके उनको इस बारे में पता था, हॉरिजॉन्टल फार्मिंग और एरोपोनिक्स के बारे में। तो उन्होंने देखते ही बोला कि ये तो जैन आलू है। उन्होंने हमें इस जैन आलू की उपाधि दी है, इस आलू को।
किसान – सर नमस्कार। मेरा नाम मोहम्मद असलम है। मैं बारां जिले से हूं सर। गार्लिक की वजह से हमारा…..
प्रधानमंत्री – कहां से हैं आप?
किसान – बारां जिले से, राजस्थान।
प्रधानमंत्री – बारां, राजस्थान।
किसान – हां सर। गार्लिक का जो हमारा…है गार्लिक में हम उसका वैल्यू एडिशन कर रहे हैं, पाउडर-पेस्ट और ये अभी एक्सपोर्ट का भी हमने लाइसेंस को अप्लाई करा….
प्रधानमंत्री – अभी मुझे एक नौजवान मिला, बोले हम बेसन और लहसुन का पापड़ बनाते हैं।
किसान – सर मेरा आपको बताते हुए बहुत खुशी हो रही है, मैं मन की बात मैं आपसे सम्मानित भी हूं।
प्रधानमंत्री – वॉह। चलिए बहुत-बहुत धन्यवाद भाई।
MJPS/ST/RK
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